आगे निकलने की होड़ में इतना आगे निकल आया हूं की ,

लगने लगा है की रकीब दोस्त का मंज़र कितना खुशनुमा था ,

सोचा की जिंदगी में लम्हे आगे कितने हसीन होंगे,

फिर चला इस कदर की वाक़ई हसीन लम्हों से अलविदा हो चला,

सोचा था सब कुछ थमेगा एक मोड़ पर आकर ,

वक्त से बेखबर मैं उस मोड़ से आगे निकाल गया ,

कुछ छुटा है कुछ रूठा है,

कामयाबी की भूख में बचपन बेदस्तूर निकल गया ,

वक्त है, ना है तो कोई सांझा करने को ,

ना दोस्त ना रकीब , उस महफिल का झूठा ही सही पर वादा करने को,

सबसे आगे निकल कर भी वक्त से पीछे छूट गया ,

ये वक्त का तगाज़ा आज फिर मुझ से रूठ गया ।

It was a not so pleasent night, Its the first time I felt, I have so much to achieve, there’s been so much going on in My life but don’t have anyone to share with, not a single person in life when it comes you have got a success who to call , no body comes to my mind .